हमारे स्वपन और हम
कपडे के उस सिलाई की तरह है
जिसका एक छोर अंत की तरफ जाता ही है
हर बार यह आवश्यक नहीं
उन का अंत शानदार हो
आवश्यक है हमारा
उस धागे को अपने विश्वाश से बाधना।
कपडे के उस सिलाई की तरह है
जिसका एक छोर अंत की तरफ जाता ही है
हर बार यह आवश्यक नहीं
उन का अंत शानदार हो
आवश्यक है हमारा
उस धागे को अपने विश्वाश से बाधना।
dhaage bandhe pyaar se ,
ReplyDeletetere mere vishwaas se,
ant kya hoga, na socha, na jaana,
shaandaar magar hoga,
ye dil se hai pehchaana :)
True, keeping the bond alive is more important. Beautifully written.
ReplyDeletewov...i visitd first time like poems much.
ReplyDeletekeep wrting i am following.
Thank you Sunil !
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