कंकड़
एक आदर्श जीव है
जो खुदको और
अपनी पथरीली सीमा को समझता है
इसकी कोई खुशबू नहीं है जो हमें याद हों
नाही इसकी इछा किसी को है
पर फिर भी
यह अपनी ललक और शीतलता
को अपनी गरिमा बना के रखता है
मैं एक भारी पश्चाताप महसूस करता हूँ
जब भी इसके अमर्तय शरीर
को मैं अपने हाथों में पकड़ता हूँ
कंकड़ की शीतलता को वश में नहीं किया जा सकता
बस इसकी श्पष्टता को
अपनी आखों से महसूस कर सकते है
Awesome 1
ReplyDeleteI ttoally loved this :)
verryyyy wise !