शब्दों के संसार में मैं एक पेड़
की तरह जड़वत खड़ा हूँ,
पतझड़ का मौसम
अभी पीछे गया है साथ में
मेरे शब्दों को भी ले गया है,
मैं इंतजार में हूँ
बरसात के मौसम का
आओ मेघा लेके
शब्दों की फुहार
उनका मधुर संगीत
बन के बहो एक नदी
कर दो आज़ाद
मुझे मेरे ख्यालों से
जिनका मैं हूँ एक बंदी ।
beautiful !!
ReplyDeleteone of ur best :)