Tuesday, November 27, 2012

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मैं उस सड़क पर था
जहा मेरे पैर नहीं थे
मैं चल नहीं सकता था पर
उम्मीद लगा रखी थी उड़ने की
चला था मंजिल तलाश करने,

नक्शा था मेरे पास
पर तेरी आवाज कानो में
गुज रही थी
रोका मैंने उस हवा को कानों में जाने से
पर क्या करू नक्शे ने
दे दिया धोका मुझे
और तेरी आवाज ने पंहुचा दिया था
घर तेरे।

1 comment :

  1. dil se banaya tha naksha,
    lakeerein to bas dikhawa thi,
    nakhreeli hawa se maanga
    ki awaaz meri sambhaal le
    aur kuch pal ke liye le jaaye
    jahan tum talaashte raah the khade,
    le aaye tumko, is dil ke paas,
    mere is dar ke paas
    jahan baahein khole main thi khadi.

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